प्रदेश में लगभग 3 लाख शिक्षकों को ग्रेच्युटी मिलने का रास्ता खुल गया है। गत 6 अक्टूबर को न्यायालय श्रम आयुक्त जिला नरसिंहपुर ने अपने आदेश में प्राथमिक शिक्षक दीपचंद्र चौधरी के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी को ग्रेच्युटी देने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद शिक्षक इस केस का हवाला देकर अपनी अपनी ग्रेच्युटी लेने के लिए अपने-अपने जिले के उपादान भुगतान अधिनियम 1972 के समक्ष अधिकारी श्रम न्यायालय जा सकते हैं उल्लेखनीय है कि 1998 से नियुक्त शिक्षाकर्मी, संविदा कर्मी ,गुरुजी व बाद से भर्ती शिक्षकों को मध्य प्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में वर्ष 1999 में आदेश होने के बावजूद भी ग्रेच्युटी नहीं दी जा रही है। ऐसे में उन्हें रिटायरमेंट के बाद बिना किसी आर्थिक लाभ के ही सीधे घर भेजा रहा था। लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है
यह मध्य प्रदेश शिक्षक संहिता में शिक्षक की परिभाषा
मध्य प्रदेश शिक्षक संहिता में शिक्षक शब्द को परिभाषित किया गया है संहिता के अनुसार ऐसा कोई भी कर्मचारी जो विद्यालय में शिक्षक का कार्य करता है भले ही उसे किसी भी नाम से पुकारा जाता हो शिक्षक व अध्यापक कहलाएगा।
यह है पूरा मामला
1998 से 2018 तक तीन बार पद नाम बदलने हैं पद करत रहे हैं इसके बाद वह 31 नवंबर 2021 को सेवानिवृत हो गए जब विभाग से उन्होंने ग्रेच्युटी की मांग की तो विभाग ने इसके लिए यह कहते यह मन कर दिया कि आपके लिए ग्रेच्युटी का नियम नहीं है इसलिए नहीं मिलेगा इसके बाद दीप चंद्र चौधरी ने नरसिंहपुर के समक्ष श्रम न्यायालय उपादान भुगतान अधिनियम 1972 के तहत इसके लिए एक आवेदन दिया जिसमें उन्होंने कहा कि उनके नियुक्ति 2001 में हुई थी उसके बाद से वह लगातार बिना एक भी दिन की सर्विस ब्रेक लिए काम करते रहे थे जिस पर श्रम न्यायालय ने 6 अक्टूबर 2023 को अपने फैसले में कहा कि उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश एवं सर्वोच्च न्यायालय के अलग-अलग आदेशों के उत्पादन में ग्रेच्युटी अधिनियम 1972 में जो संशोधन 2009 में किया गया था उसके अनुसार विद्यालयों से सेवानिवृत अध्यापक इस अधिनियम के अनुसार ग्रह छुट्टी के पात्र हैं इसलिए 30 दिन के अंदर दीप चंद्र को 6,28,107 रुपए ग्रेच्युटी दी जाएगी। निर्धारित 30 दिवस का समय निकालने के बाद 10% ब्याज प्रति वर्ष के साथ राशि देनी होगी।