आदर्श के पिताजी दिल्ली में मजदूरी करते हैं और उनकी माँ सिलाई मशीन चलाकर परिवार का पालन-पोषण करती हैं। गरीबी के बावजूद, आदर्श ने हार नहीं मानी और अपने चाचा की मदद से मुफ्त में कोचिंग प्राप्त की। उनकी लगन और मेहनत रंग लाई और उन्होंने यह शानदार उपलब्धि हासिल की।
आदर्श ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, चाचा और शिक्षकों को दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और कभी भी हार नहीं मानी। उन्होंने अन्य छात्रों को भी सलाह दी कि वे अपनी पढ़ाई में लगातार मेहनत करें और कभी भी अपना लक्ष्य न छोड़े।
आदर्श की सफलता उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है जो गरीबी और मुश्किलों से जूझ रहे हैं। यह दर्शाता है कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।