MPTET वर्ग 2 चयन परीक्षा 2025 | UNIT 5 (इकाई 5) वर्ग 2 Syllabus Change? MPTET VARG - 2 MAINS

Dharmendra Choudhary
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त्रिकोणमिति : त्रिकोणमिति अनुपात - Trigonometry: Trigonometry ratio

त्रिकोणमिति गणित की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो त्रिभुजों की भुजाओं और कोणों के बीच के संबंधों का अध्ययन करती है। इसमें, त्रिकोणमितीय अनुपात एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।
त्रिकोणमितीय अनुपात (Trigonometric Ratios):
एक समकोण त्रिभुज में, एक न्यूनकोण (acute angle) के सापेक्ष भुजाओं के अनुपात को त्रिकोणमितीय अनुपात कहते हैं। मुख्य त्रिकोणमितीय अनुपात निम्नलिखित हैं:
* ज्या (Sine): कोण के सामने की भुजा (लम्ब) और कर्ण का अनुपात। इसे sin से दर्शाया जाता है।
   sin θ = लम्ब / कर्ण = Opposite / Hypotenuse
* कोज्या (Cosine): कोण के संलग्न भुजा (आधार) और कर्ण का अनुपात। इसे cos से दर्शाया जाता है।
   cos θ = आधार / कर्ण = Adjacent / Hypotenuse
* स्पर्शज्या (Tangent): कोण के सामने की भुजा (लम्ब) और संलग्न भुजा (आधार) का अनुपात। इसे tan से दर्शाया जाता है।
   tan θ = लम्ब / आधार = Opposite / Adjacent
इनके अलावा, तीन और त्रिकोणमितीय अनुपात होते हैं जो इन मुख्य अनुपातों के व्युत्क्रम होते हैं:
* व्युत्क्रम ज्या (Cosecant): ज्या का व्युत्क्रम। इसे cosec या csc से दर्शाया जाता है।
   cosec θ = कर्ण / लम्ब = 1 / sin θ
* व्युत्क्रम कोज्या (Secant): कोज्या का व्युत्क्रम। इसे sec से दर्शाया जाता है।
   sec θ = कर्ण / आधार = 1 / cos θ
* व्युत्क्रम स्पर्शज्या (Cotangent): स्पर्शज्या का व्युत्क्रम। इसे cot से दर्शाया जाता है।
   cot θ = आधार / लम्ब = 1 / tan θ
महत्व:
त्रिकोणमितीय अनुपातों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे:
* नेविगेशन: जहाजों और विमानों की स्थिति और दिशा ज्ञात करने में।
* इंजीनियरिंग: इमारतों, पुलों और अन्य संरचनाओं के डिजाइन में।
* भौतिकी: प्रकाश, ध्वनि और अन्य तरंगों का अध्ययन करने में।
* खगोल विज्ञान: ग्रहों और तारों की दूरी और स्थिति मापने में।
कुछ विशिष्ट कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात:
कुछ विशिष्ट कोणों, जैसे 0°, 30°, 45°, 60° और 90°, के त्रिकोणमितीय अनुपातों के मान ज्ञात होते हैं और इनका उपयोग समस्याओं को हल करने में किया जाता है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
कुछ विशिष्ट कोणों के त्रिकोणमिति अनुपात -Trigonometry Ratios of Some Specific Angles
जैसा कि मैंने पहले बताया, त्रिकोणमिति में कुछ विशिष्ट कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों का बहुत महत्व है। ये कोण हैं: 0°, 30°, 45°, 60° और 90°। इन कोणों के लिए ज्या (sine), कोज्या (cosine) और स्पर्शज्या (tangent) के मानों को याद रखना या समझना बहुत उपयोगी होता है, क्योंकि इनका प्रयोग त्रिकोणमितीय समस्याओं को हल करने में बार-बार होता है।
इन कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों को एक सारणी में दर्शाया गया है:
| कोण (θ) | sin θ | cos θ | tan θ |
|---|---|---|---|
| 0° | 0 | 1 | 0 |
| 30° | 1/2 | √3/2 | 1/√3 |
| 45° | 1/√2 | 1/√2 | 1 |
| 60° | √3/2 | 1/2 | √3 |
| 90° | 1 | 0 | अपरिभाषित (undefined) |
इसे याद रखने के कुछ तरीके:
* sin और cos के मानों में पैटर्न: ध्यान दें कि sin के मान 0° से 90° तक बढ़ते हैं (0 से 1 तक), जबकि cos के मान 0° से 90° तक घटते हैं (1 से 0 तक)।
* 45° का कोण: 45° पर sin और cos के मान समान होते हैं (1/√2)।
* 30° और 60° के मान: 30° का sin, 60° का cos होता है, और 30° का cos, 60° का sin होता है।
इन मानों का उपयोग:
इन मानों का उपयोग करके आप कई त्रिकोणमितीय समस्याओं को आसानी से हल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपको किसी समकोण त्रिभुज में एक कोण 30° दिया गया है और कर्ण की लंबाई दी गई है, तो आप sin 30° का उपयोग करके लम्ब की लंबाई ज्ञात कर सकते हैं।
उदाहरण:
मान लीजिए एक समकोण त्रिभुज ABC है, जिसमें कोण B 90° है, कोण C 30° है, और कर्ण AC की लंबाई 10 सेमी है। लम्ब AB की लंबाई ज्ञात कीजिए।
समाधान:
sin C = लम्ब / कर्ण
sin 30° = AB / AC
1/2 = AB / 10
AB = 10 / 2
AB = 5 सेमी
इसलिए, लम्ब AB की लंबाई 5 सेमी है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।
पूरक कोणों के त्रिकोणमितिय अनुपात -Trigonometric Ratios of Complementary Angles
पूरक कोण वे कोण होते हैं जिनका योग 90° होता है। त्रिकोणमिति में, पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों के बीच एक विशेष संबंध होता है। इन संबंधों को समझना त्रिकोणमितीय समस्याओं को हल करने में बहुत उपयोगी होता है।
पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात:
यदि दो कोण A और B पूरक हैं, तो A + B = 90° होगा। इस स्थिति में, निम्नलिखित संबंध सत्य होते हैं:
* sin A = cos B  (या sin A = cos(90° - A))
* cos A = sin B  (या cos A = sin(90° - A))
* tan A = cot B  (या tan A = cot(90° - A))
* cot A = tan B  (या cot A = tan(90° - A))
* sec A = cosec B (या sec A = cosec(90° - A))
* cosec A = sec B (या cosec A = sec(90° - A))
इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है:
यदि हमारे पास एक समकोण त्रिभुज ABC है, जिसमें कोण B समकोण (90°) है, तो कोण A और कोण C पूरक कोण होंगे (A + C = 90°)। इस स्थिति में, उपरोक्त संबंध लागू होते हैं।
उदाहरण:
* यदि sin 30° = 1/2 है, तो cos 60° भी 1/2 होगा, क्योंकि 30° और 60° पूरक कोण हैं।
* यदि tan 45° = 1 है, तो cot 45° भी 1 होगा, क्योंकि 45° और 45° पूरक कोण हैं।
* sin 20° = cos 70°
* cos 15° = sin 75°
* tan 35° = cot 55°
इन संबंधों का उपयोग:
इन संबंधों का उपयोग त्रिकोणमितीय व्यंजकों को सरल बनाने और त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करने में किया जाता है।
उदाहरण:
व्यंजक sin 25° / cos 65° का मान ज्ञात कीजिए।
समाधान:
हम जानते हैं कि sin A = cos (90° - A)
इसलिए, sin 25° = cos (90° - 25°) = cos 65°
अतः, sin 25° / cos 65° = cos 65° / cos 65° = 1
महत्व:
पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपातों को समझना त्रिकोणमिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने में सहायक होता है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।
त्रिकोणमिति सर्वसमिकाएं ऊंचाइयां और दूरियां - Trigonometry Identities Heights and Distances -
त्रिकोणमिति सर्वसमिकाएँ (Trigonometric Identities) त्रिकोणमितीय अनुपातों के बीच के ऐसे संबंध होते हैं जो कोण के सभी मानों के लिए सत्य होते हैं। ये सर्वसमिकाएँ ऊँचाइयों और दूरियों से संबंधित समस्याओं को हल करने में बहुत उपयोगी होती हैं।
मुख्य त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ:
* पाइथागोरस सर्वसमिकाएँ:
   * sin²θ + cos²θ = 1
   * 1 + tan²θ = sec²θ
   * 1 + cot²θ = cosec²θ
* व्युत्क्रम सर्वसमिकाएँ:
   * sin θ = 1/cosec θ
   * cos θ = 1/sec θ
   * tan θ = 1/cot θ
   * cosec θ = 1/sin θ
   * sec θ = 1/cos θ
   * cot θ = 1/tan θ
* भागफल सर्वसमिकाएँ:
   * tan θ = sin θ / cos θ
   * cot θ = cos θ / sin θ
* पूरक कोण सर्वसमिकाएँ:
   * sin (90° - θ) = cos θ
   * cos (90° - θ) = sin θ
   * tan (90° - θ) = cot θ
   * cot (90° - θ) = tan θ
   * sec (90° - θ) = cosec θ
   * cosec (90° - θ) = sec θ
ऊँचाइयों और दूरियों में सर्वसमिकाओं का उपयोग:
ऊँचाइयों और दूरियों से संबंधित समस्याओं में, हम अक्सर समकोण त्रिभुजों का उपयोग करते हैं। इन समस्याओं में, हमें किसी वस्तु की ऊँचाई, दो बिंदुओं के बीच की दूरी या किसी कोण को ज्ञात करना होता है। त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ इन अज्ञात राशियों को ज्ञात करने में हमारी मदद करती हैं।
उदाहरण:
एक मीनार के पाद से 50 मीटर की दूरी पर स्थित एक बिंदु से मीनार के शीर्ष का उन्नयन कोण 60° है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल:
मान लीजिए कि मीनार की ऊँचाई h मीटर है।
हमारे पास एक समकोण त्रिभुज है जिसमें:
* आधार = 50 मीटर
* लम्ब = h मीटर
* उन्नयन कोण = 60°
हम जानते हैं कि tan θ = लम्ब / आधार
इसलिए, tan 60° = h / 50
√3 = h / 50
h = 50√3 मीटर
अतः, मीनार की ऊँचाई 50√3 मीटर है।
कुछ और उदाहरण जहाँ सर्वसमिकाओं का उपयोग होता है:
* जब हमें किसी त्रिभुज के दो कोण और एक भुजा दी गई हो और हमें अन्य भुजाएँ ज्ञात करनी हों।
* जब हमें किसी चतुर्भुज के कोण और भुजाएँ दी गई हों और हमें उसका क्षेत्रफल या अन्य माप ज्ञात करने हों।
* जब हमें किसी वृत्त की त्रिज्या और चाप की लंबाई दी गई हो और हमें चाप द्वारा केंद्र पर बनाया गया कोण ज्ञात करना हो।
महत्व:
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ ऊँचाइयों और दूरियों से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हैं। इन सर्वसमिकाओं को याद रखना और उनका सही उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।

कोण, त्रिकोणमितिय फलन- Who, trigonometric function
कोण (Angle):
गणित में, कोण दो किरणों या रेखाखंडों के बीच झुकाव की माप है जिनका एक उभयनिष्ठ अंत्यबिंदु होता है, जिसे शीर्ष (vertex) कहते हैं। कोणों को डिग्री (°), रेडियन (rad) या ग्रेड (grad) में मापा जा सकता है।
* डिग्री (°): एक पूर्ण वृत्त को 360 बराबर भागों में विभाजित करने पर प्रत्येक भाग को एक डिग्री कहते हैं।
* रेडियन (rad): एक वृत्त की त्रिज्या के बराबर लंबाई के चाप द्वारा केंद्र पर अंतरित कोण को एक रेडियन कहते हैं।
* ग्रेड (grad): एक समकोण को 100 बराबर भागों में विभाजित करने पर प्रत्येक भाग को एक ग्रेड कहते हैं।
त्रिकोणमितीय फलन (Trigonometric Functions):
त्रिकोणमितीय फलन कोणों के फलनों के रूप में परिभाषित वास्तविक फलनों को कहते हैं। ये फलन त्रिभुजों की भुजाओं और कोणों के बीच संबंधों का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुख्य त्रिकोणमितीय फलन निम्नलिखित हैं:
* ज्या (Sine): sin θ
* कोज्या (Cosine): cos θ
* स्पर्शज्या (Tangent): tan θ
* व्युत्क्रम ज्या (Cosecant): cosec θ या csc θ
* व्युत्क्रम कोज्या (Secant): sec θ
* व्युत्क्रम स्पर्शज्या (Cotangent): cot θ
समकोण त्रिभुज में त्रिकोणमितीय अनुपात:
एक समकोण त्रिभुज में, एक न्यूनकोण (θ) के सापेक्ष भुजाओं के अनुपात को त्रिकोणमितीय अनुपात कहते हैं।
* sin θ = लम्ब / कर्ण
* cos θ = आधार / कर्ण
* tan θ = लम्ब / आधार
* cosec θ = कर्ण / लम्ब
* sec θ = कर्ण / आधार
* cot θ = आधार / लम्ब
इकाई वृत्त (Unit Circle):
इकाई वृत्त एक ऐसा वृत्त है जिसकी त्रिज्या 1 इकाई होती है और जिसका केंद्र मूलबिंदु (0,0) पर होता है। इकाई वृत्त का उपयोग त्रिकोणमितीय फलनों को समझने और उनके मानों को ज्ञात करने में किया जाता है।
कुछ विशिष्ट कोणों के त्रिकोणमितीय मान:
| कोण (θ) | sin θ | cos θ | tan θ |
|---|---|---|---|
| 0° | 0 | 1 | 0 |
| 30° | 1/2 | √3/2 | 1/√3 |
| 45° | 1/√2 | 1/√2 | 1 |
| 60° | √3/2 | 1/2 | √3 |
| 90° | 1 | 0 | अपरिभाषित |
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ (Trigonometric Identities):
त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाएँ त्रिकोणमितीय फलनों के बीच के ऐसे संबंध होते हैं जो कोण के सभी मानों के लिए सत्य होते हैं। कुछ मुख्य सर्वसमिकाएँ निम्नलिखित हैं:
* sin²θ + cos²θ = 1
* 1 + tan²θ = sec²θ
* 1 + cot²θ = cosec²θ
* tan θ = sin θ / cos θ
* cot θ = cos θ / sin θ
त्रिकोणमितीय फलनों का उपयोग:
त्रिकोणमितीय फलनों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे:
* गणित: ज्यामिति, कलन, बीजगणित
* भौतिकी: गति, तरंगें, प्रकाशिकी
* इंजीनियरिंग: संरचनात्मक विश्लेषण, नेविगेशन, संचार
* खगोल विज्ञान: ग्रहों और तारों की गति का अध्ययन
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।

दो कोणों के योग और अंतर का त्रिकोणमितीय फलन - Trigonometric functions of the sum and difference of two angles
दो कोणों के योग और अंतर के त्रिकोणमितीय फलन त्रिकोणमिति के महत्वपूर्ण सूत्र हैं जो दो कोणों के योग या अंतर के त्रिकोणमितीय अनुपातों को उन कोणों के अलग-अलग त्रिकोणमितीय अनुपातों के रूप में व्यक्त करते हैं। ये सूत्र त्रिकोणमितीय व्यंजकों को सरल बनाने, समीकरणों को हल करने और विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने में उपयोगी होते हैं।
सूत्र:
यहाँ दो कोणों A और B के योग और अंतर के मुख्य त्रिकोणमितीय सूत्र दिए गए हैं:
* ज्या (Sine):
   * sin(A + B) = sin A cos B + cos A sin B
   * sin(A - B) = sin A cos B - cos A sin B
* कोज्या (Cosine):
   * cos(A + B) = cos A cos B - sin A sin B
   * cos(A - B) = cos A cos B + sin A sin B
* स्पर्शज्या (Tangent):
   * tan(A + B) = (tan A + tan B) / (1 - tan A tan B)
   * tan(A - B) = (tan A - tan B) / (1 + tan A tan B)
* कोटेंजेंट (Cotangent):
   * cot(A + B) = (cot A cot B - 1) / (cot B + cot A)
   * cot(A - B) = (cot A cot B + 1) / (cot B - cot A)
इन सूत्रों को याद रखने के कुछ तरीके:
* sin(A + B) में, sin और cos एकान्तर रूप से आते हैं, और चिह्न '+' होता है।
* sin(A - B) में, sin और cos एकान्तर रूप से आते हैं, और चिह्न '-' होता है।
* cos(A + B) में, cos एक साथ और sin एक साथ आते हैं, और चिह्न '-' होता है।
* cos(A - B) में, cos एक साथ और sin एक साथ आते हैं, और चिह्न '+' होता है।
* tan के सूत्रों में, अंश में वही चिह्न होता है जो कोणों के बीच होता है, और हर में विपरीत चिह्न होता है।
उदाहरण:
* sin 75° का मान ज्ञात कीजिए।
   समाधान: हम 75° को 45° + 30° के रूप में लिख सकते हैं।
   sin 75° = sin(45° + 30°)
   = sin 45° cos 30° + cos 45° sin 30°
   = (1/√2)(√3/2) + (1/√2)(1/2)
   = (√3 + 1) / 2√2
* cos 15° का मान ज्ञात कीजिए।
   समाधान: हम 15° को 45° - 30° के रूप में लिख सकते हैं।
   cos 15° = cos(45° - 30°)
   = cos 45° cos 30° + sin 45° sin 30°
   = (1/√2)(√3/2) + (1/√2)(1/2)
   = (√3 + 1) / 2√2
* tan 105° का मान ज्ञात कीजिए।
   समाधान: हम 105° को 60° + 45° के रूप में लिख सकते हैं।
   tan 105° = tan(60° + 45°)
   = (tan 60° + tan 45°) / (1 - tan 60° tan 45°)
   = (√3 + 1) / (1 - √3)
इन सूत्रों का उपयोग:
इन सूत्रों का उपयोग त्रिकोणमितीय व्यंजकों को सरल बनाने, त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करने, ज्यामितीय समस्याओं को हल करने और कलन में समाकलन और अवकलन जैसी समस्याओं को हल करने में किया जाता है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।
त्रिकोणमितिय समीकरण प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन -Trigonometric Equations Inverse Trigonometric Functions
त्रिकोणमितीय समीकरण (Trigonometric Equations) ऐसे समीकरण होते हैं जिनमें त्रिकोणमितीय फलन जैसे sin, cos, tan आदि शामिल होते हैं। इन समीकरणों को हल करने का मतलब है कि कोणों के उन मानों को ज्ञात करना जिनके लिए समीकरण सत्य होता है। प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन (Inverse Trigonometric Functions) इन समीकरणों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
त्रिकोणमितीय समीकरण:
एक त्रिकोणमितीय समीकरण का सामान्य रूप इस प्रकार हो सकता है:
* sin x = a
* cos x = b
* tan x = c
जहाँ a, b और c स्थिरांक हैं।
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन:
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन मूल त्रिकोणमितीय फलनों के व्युत्क्रम फलन होते हैं। इन्हें arcsin, arccos, arctan आदि से दर्शाया जाता है।
* यदि sin y = x, तो y = arcsin x
* यदि cos y = x, तो y = arccos x
* यदि tan y = x, तो y = arctan x
मुख्य मान (Principal Value):
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के अनेक मान हो सकते हैं, लेकिन हम केवल मुख्य मान पर विचार करते हैं, जो एक विशिष्ट अंतराल में स्थित होता है।
* arcsin x का मुख्य मान [-π/2, π/2] में होता है।
* arccos x का मुख्य मान [0, π] में होता है।
* arctan x का मुख्य मान (-π/2, π/2) में होता है।
त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करना:
त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:
* समीकरण को सरल बनाकर उसे sin x = a, cos x = b या tan x = c के रूप में लिखें।
* प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों का उपयोग करके x का मुख्य मान ज्ञात करें।
* त्रिकोणमितीय फलनों की आवधिकता (periodicity) का उपयोग करके अन्य सभी मान ज्ञात करें।
उदाहरण:
* समीकरण sin x = 1/2 को हल कीजिए।
   * x का मुख्य मान arcsin(1/2) = π/6 है।
   * sin फलन की आवधिकता 2π होती है, इसलिए अन्य सभी मान x = nπ + (-1)^n * π/6 होंगे, जहाँ n एक पूर्णांक है।
* समीकरण cos x = √3/2 को हल कीजिए।
   * x का मुख्य मान arccos(√3/2) = π/6 है।
   * cos फलन की आवधिकता 2π होती है, इसलिए अन्य सभी मान x = 2nπ ± π/6 होंगे, जहाँ n एक पूर्णांक है।
* समीकरण tan x = 1 को हल कीजिए।
   * x का मुख्य मान arctan(1) = π/4 है।
   * tan फलन की आवधिकता π होती है, इसलिए अन्य सभी मान x = nπ + π/4 होंगे, जहाँ n एक पूर्णांक है।
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के गुणधर्म:
* sin(arcsin x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
* cos(arccos x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
* tan(arctan x) = x, यदि x एक वास्तविक संख्या है
* arcsin(sin x) = x, यदि -π/2 ≤ x ≤ π/2
* arccos(cos x) = x, यदि 0 ≤ x ≤ π
* arctan(tan x) = x, यदि -π/2 < x < π/2
महत्व:
त्रिकोणमितीय समीकरण और प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन गणित, भौतिकी, इंजीनियरिंग और अन्य विज्ञानों में कई समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक उपकरण हैं।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।
प्रतिलोम त्रिकोणमिति फलनों की आधारभूत संकल्पनाएं -Basic concepts of inverse trigonometry functions
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन त्रिकोणमितीय फलनों के व्युत्क्रम फलन होते हैं। चूँकि त्रिकोणमितीय फलन आवर्ती होते हैं, इसलिए वे एकैकी नहीं होते हैं। इसलिए, उनके पूर्ण डोमेन पर उनके व्युत्क्रम नहीं होते हैं। प्रतिलोम फलनों को परिभाषित करने के लिए, त्रिकोणमितीय फलनों के डोमेन को इस तरह प्रतिबंधित किया जाता है कि वे एकैकी बन जाएँ, और फिर उनके व्युत्क्रम परिभाषित किए जाते हैं।
आधारभूत संकल्पनाएँ:
* प्रतिबंधित डोमेन और परिसर: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों को परिभाषित करने के लिए, हमें मूल त्रिकोणमितीय फलनों के डोमेन को प्रतिबंधित करना होता है ताकि वे एकैकी बन जाएँ। इससे हमें एक अद्वितीय व्युत्क्रम प्राप्त होता है।
   * arcsin x: डोमेन: [-1, 1], परिसर: [-π/2, π/2]
   * arccos x: डोमेन: [-1, 1], परिसर: [0, π]
   * arctan x: डोमेन: (-∞, ∞), परिसर: (-π/2, π/2)
* मुख्य मान: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के अनेक मान हो सकते हैं, लेकिन हम केवल मुख्य मान पर विचार करते हैं, जो प्रतिबंधित परिसर में स्थित होता है।
* निरूपण: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों को निम्नलिखित रूप में दर्शाया जाता है:
   * sin⁻¹ x या arcsin x
   * cos⁻¹ x या arccos x
   * tan⁻¹ x या arctan x
* ग्राफ: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के ग्राफ मूल त्रिकोणमितीय फलनों के ग्राफ को y = x रेखा के सापेक्ष परावर्तित करके प्राप्त किए जा सकते हैं।
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के गुणधर्म:
* व्युत्क्रम संबंध:
   * sin(arcsin x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
   * cos(arccos x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
   * tan(arctan x) = x, यदि x एक वास्तविक संख्या है
   * arcsin(sin x) = x, यदि -π/2 ≤ x ≤ π/2
   * arccos(cos x) = x, यदि 0 ≤ x ≤ π
   * arctan(tan x) = x, यदि -π/2 < x < π/2
* पूरक कोण संबंध:
   * arcsin x + arccos x = π/2
   * arctan x + arccot x = π/2
* ऋणात्मक कोण संबंध:
   * arcsin(-x) = -arcsin x
   * arccos(-x) = π - arccos x
   * arctan(-x) = -arctan x
* अन्य महत्वपूर्ण संबंध:
   * tan⁻¹ x + tan⁻¹ y = tan⁻¹((x + y) / (1 - xy)), यदि xy < 1
   * tan⁻¹ x - tan⁻¹ y = tan⁻¹((x - y) / (1 + xy)), यदि xy > -1
उपयोग:
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे:
* त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करना
* ज्यामितीय समस्याओं को हल करना
* कलन में समाकलन और अवकलन
* भौतिकी और इंजीनियरिंग
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।
प्रतिलोम त्रिकोणमिति फलनों के गुणधर्म -Properties of inverse trigonometry functions
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन त्रिकोणमितीय फलनों के व्युत्क्रम फलन होते हैं। चूंकि त्रिकोणमितीय फलन आवर्ती होते हैं, इसलिए वे एकैकी नहीं होते हैं। इसलिए, उनके पूर्ण डोमेन पर उनके व्युत्क्रम नहीं होते हैं। प्रतिलोम फलनों को परिभाषित करने के लिए, त्रिकोणमितीय फलनों के डोमेन को इस तरह प्रतिबंधित किया जाता है कि वे एकैकी बन जाएं, और फिर उनके व्युत्क्रम परिभाषित किए जाते हैं।
आधारभूत संकल्पनाएँ:
* प्रतिबंधित डोमेन और परिसर: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों को परिभाषित करने के लिए, हमें मूल त्रिकोणमितीय फलनों के डोमेन को प्रतिबंधित करना होता है ताकि वे एकैकी बन जाएं। इससे हमें एक अद्वितीय व्युत्क्रम प्राप्त होता है।
   * arcsin x: डोमेन: [-1, 1], परिसर: [-π/2, π/2]
   * arccos x: डोमेन: [-1, 1], परिसर: [0, π]
   * arctan x: डोमेन: (-∞, ∞), परिसर: (-π/2, π/2)
* मुख्य मान: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के अनेक मान हो सकते हैं, लेकिन हम केवल मुख्य मान पर विचार करते हैं, जो प्रतिबंधित परिसर में स्थित होता है।
* निरूपण: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों को निम्नलिखित रूप में दर्शाया जाता है:
   * sin⁻¹ x या arcsin x
   * cos⁻¹ x या arccos x
   * tan⁻¹ x या arctan x
* ग्राफ: प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के ग्राफ मूल त्रिकोणमितीय फलनों के ग्राफ को y = x रेखा के सापेक्ष परावर्तित करके प्राप्त किए जा सकते हैं।
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों के गुणधर्म:
* व्युत्क्रम संबंध:
   * sin(arcsin x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
   * cos(arccos x) = x, यदि -1 ≤ x ≤ 1
   * tan(arctan x) = x, यदि x एक वास्तविक संख्या है
   * arcsin(sin x) = x, यदि -π/2 ≤ x ≤ π/2
   * arccos(cos x) = x, यदि 0 ≤ x ≤ π
   * arctan(tan x) = x, यदि -π/2 < x < π/2
* पूरक कोण संबंध:
   * arcsin x + arccos x = π/2
   * arctan x + arccot x = π/2
* ऋणात्मक कोण संबंध:
   * arcsin(-x) = -arcsin x
   * arccos(-x) = π - arccos x
   * arctan(-x) = -arctan x
* अन्य महत्वपूर्ण संबंध:
   * tan⁻¹ x + tan⁻¹ y = tan⁻¹((x + y) / (1 - xy)), यदि xy < 1
   * tan⁻¹ x - tan⁻¹ y = tan⁻¹((x - y) / (1 + xy)), यदि xy > -1
उपयोग:
प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलनों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जैसे:
* त्रिकोणमितीय समीकरणों को हल करना
* ज्यामितीय समस्याओं को हल करना
* कलन में समाकलन और अवकलन
* भौतिकी और इंजीनियरिंग
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं तो कृपया पूछें।



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