सांख्यिकी आंकड़ों का संग्रह :Collection of statistical data
"सांख्यिकी आंकड़ों का संग्रह" का अर्थ है सांख्यिकी अध्ययन के लिए डेटा इकट्ठा करना। यह सांख्यिकी प्रक्रिया का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है। आंकड़ों के संग्रह की गुणवत्ता सीधे अध्ययन के निष्कर्षों की विश्वसनीयता को प्रभावित करती है।
**सांख्यिकीय आँकड़े क्या हैं?**
सांख्यिकीय आँकड़े संख्यात्मक तथ्यों का एक समूह है जो किसी विशेष उद्देश्य के लिए व्यवस्थित रूप से एकत्र किए जाते हैं। ये आँकड़े विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए जा सकते हैं और विभिन्न रूपों में प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जैसे कि संख्याएँ, तालिकाएँ, ग्राफ़ आदि।
**सांख्यिकीय आंकड़ों की विशेषताएं:**
* **तथ्यों का समूह:** सांख्यिकीय आँकड़े अकेले तथ्य नहीं, बल्कि तथ्यों का समूह होते हैं।
* **अनेक कारकों से प्रभावित:** ये आँकड़े विभिन्न कारकों से प्रभावित हो सकते हैं।
* **परिमाणात्मक रूप से व्यक्त:** इन्हें संख्याओं द्वारा दर्शाया जाता है।
* **व्यवस्थित संग्रह:** इनका संग्रह एक व्यवस्थित तरीके से किया जाता है।
* **विश्वसनीयता:** ये एक उचित स्तर तक विश्वसनीय होते हैं।
* **पूर्व निर्धारित उद्देश्य:** इनका संग्रह किसी पूर्व निर्धारित उद्देश्य के लिए किया जाता है।
**आंकड़ों के संग्रह के स्रोत:**
आंकड़ों को दो मुख्य स्रोतों से एकत्र किया जा सकता है:
1. **प्राथमिक स्रोत (Primary Sources):** जब आँकड़े पहली बार मूल स्रोत से एकत्र किए जाते हैं, तो उन्हें प्राथमिक आँकड़े कहा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी सर्वेक्षण के माध्यम से एकत्र किए गए आँकड़े।
* **प्राथमिक आँकड़ों के संकलन की विधियाँ:**
* **प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान:** अनुसंधानकर्ता सीधे व्यक्तियों से जानकारी एकत्र करता है।
* **अप्रत्यक्ष मौखिक जाँच:** अनुसंधानकर्ता किसी तीसरे पक्ष से जानकारी प्राप्त करता है।
* **स्थानीय व्यक्तियों या नियुक्त संवाददाताओं द्वारा:** स्थानीय व्यक्तियों या संवाददाताओं को जानकारी एकत्र करने के लिए नियुक्त किया जाता है।
* **प्रश्नावली विधि:** प्रश्नों की एक सूची व्यक्तियों को दी जाती है ताकि वे उत्तर दे सकें।
* **डाक-पत्र द्वारा:** प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है।
* **गणकों द्वारा अनुसूचियाँ भरना:** गणक व्यक्तियों से मिलकर अनुसूचियाँ भरते हैं।
2. **द्वितीयक स्रोत (Secondary Sources):** जब आँकड़े पहले से ही किसी और द्वारा एकत्र किए गए होते हैं और उनका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया जाता है, तो उन्हें द्वितीयक आँकड़े कहा जाता है। उदाहरण के लिए, सरकारी प्रकाशन, रिपोर्ट, पत्रिकाएँ आदि।
**आंकड़ों के संग्रह की विधियाँ:**
आंकड़ों के संग्रह की कई विधियाँ हैं, जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं:
* **सर्वेक्षण (Surveys):** लोगों से जानकारी एकत्र करने के लिए प्रश्नावली या साक्षात्कार का उपयोग करना।
* **साक्षात्कार (Interviews):** व्यक्तियों से आमने-सामने या फ़ोन पर बातचीत करके जानकारी एकत्र करना।
* **अवलोकन (Observation):** घटनाओं या व्यवहारों को देखकर जानकारी एकत्र करना।
* **प्रयोग (Experiments):** नियंत्रित परिस्थितियों में डेटा एकत्र करना।
**आंकड़ों के संग्रह में ध्यान रखने योग्य बातें:**
* **उद्देश्य:** आंकड़ों के संग्रह का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
* **उपयुक्त विधि:** आंकड़ों के प्रकार और उद्देश्य के अनुसार उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिए।
* **विश्वसनीयता:** आंकड़ों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी चाहिए।
* **समय और लागत:** आंकड़ों के संग्रह में लगने वाले समय और लागत का ध्यान रखना चाहिए।
**निष्कर्ष:**
सांख्यिकी आंकड़ों का संग्रह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो सांख्यिकी अध्ययन की नींव रखती है। उचित विधियों का उपयोग करके और विश्वसनीयता सुनिश्चित करके, हम सटीक और उपयोगी आँकड़े एकत्र कर सकते हैं जो हमें सही निष्कर्ष निकालने में मदद करते हैं।
आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण :Presentation of Data
"आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण" का अर्थ है एकत्रित किए गए आँकड़ों को इस प्रकार व्यवस्थित और प्रदर्शित करना कि वे समझने में आसान हों और उनसे उपयोगी निष्कर्ष निकाले जा सकें। यह सांख्यिकी विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
**आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण के उद्देश्य:**
* आँकड़ों को सरल और समझने योग्य बनाना।
* आँकड़ों में मौजूद रुझानों और पैटर्नों को उजागर करना।
* तुलना करने और निष्कर्ष निकालने में मदद करना।
* जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना।
**आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण के तरीके:**
आंकड़ों को प्रस्तुत करने के कई तरीके हैं, जिन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. **पाठ्य प्रस्तुतीकरण (Textual Presentation):** इस विधि में, आँकड़ों को पाठ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जैसे कि रिपोर्ट, लेख या विवरण में। यह विधि तब उपयुक्त होती है जब आँकड़ों की मात्रा कम होती है और उन्हें संक्षेप में प्रस्तुत करना होता है।
2. **सारणी प्रस्तुतीकरण (Tabular Presentation):** इस विधि में, आँकड़ों को पंक्तियों और स्तंभों वाली तालिकाओं में व्यवस्थित किया जाता है। यह विधि तब उपयुक्त होती है जब आँकड़ों की मात्रा अधिक होती है और उन्हें व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना होता है।
* **सारणी के भाग:** एक अच्छी सारणी में निम्नलिखित भाग होते हैं:
* **सारणी संख्या:** प्रत्येक सारणी को एक संख्या दी जाती है ताकि उसे आसानी से पहचाना जा सके।
* **शीर्षक:** सारणी का शीर्षक बताता है कि उसमें क्या जानकारी है।
* **पंक्तियाँ और स्तंभ:** पंक्तियाँ और स्तंभ आँकड़ों को व्यवस्थित करते हैं।
* **इकाई:** आँकड़ों की इकाई (जैसे कि किलोग्राम, मीटर, आदि) स्पष्ट रूप से बताई जानी चाहिए।
* **स्रोत:** यदि आँकड़े किसी बाहरी स्रोत से लिए गए हैं, तो उस स्रोत का उल्लेख किया जाना चाहिए।
* **फुटनोट:** यदि कोई अतिरिक्त जानकारी या स्पष्टीकरण देना हो, तो उसे फुटनोट में दिया जा सकता है।
3. **चित्रमय प्रस्तुतीकरण (Diagrammatic Presentation):** इस विधि में, आँकड़ों को चित्रों, ग्राफ़ों और आरेखों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह विधि तब उपयुक्त होती है जब आँकड़ों को दृश्य रूप से प्रस्तुत करना होता है ताकि उन्हें आसानी से समझा जा सके।
* **विभिन्न प्रकार के ग्राफ़ और आरेख:**
* **बार ग्राफ़ (Bar Graph):** विभिन्न श्रेणियों की तुलना करने के लिए उपयोग किया जाता है।
* **रेखा ग्राफ़ (Line Graph):** समय के साथ परिवर्तनों को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* **वृत्त आरेख या पाई चार्ट (Pie Chart):** कुल के भागों को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* **चित्रलेख (Pictograph):** चित्रों का उपयोग करके आँकड़ों को दर्शाया जाता है।
* **आवृति बहुभुज (Frequency Polygon):** आवृति वितरण को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* **ओजाइव या संचयी आवृति वक्र (Ogive or Cumulative Frequency Curve):** संचयी आवृति वितरण को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
**आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण में ध्यान रखने योग्य बातें:**
* **उद्देश्य:** प्रस्तुतीकरण का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
* **उपयुक्त विधि:** आँकड़ों के प्रकार और उद्देश्य के अनुसार उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिए।
* **स्पष्टता:** प्रस्तुतीकरण स्पष्ट और समझने योग्य होना चाहिए।
* **सरलता:** प्रस्तुतीकरण सरल होना चाहिए ताकि उसे आसानी से समझा जा सके।
* **आकर्षण:** प्रस्तुतीकरण आकर्षक होना चाहिए ताकि लोगों का ध्यान आकर्षित हो।
**निष्कर्ष:**
आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो आँकड़ों को समझने और उनसे निष्कर्ष निकालने में मदद करती है। उचित विधियों का उपयोग करके और प्रस्तुतीकरण को स्पष्ट और आकर्षक बनाकर, हम जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित कर सकते हैं।
आंकड़ों का आलेखीय निरूपण : Graphical representation of data
"आंकड़ों का आलेखीय निरूपण" का अर्थ है संख्यात्मक आँकड़ों को चित्रों, ग्राफ़ों और आरेखों के रूप में प्रस्तुत करना ताकि वे समझने में आसान हों और उनसे रुझान, पैटर्न और निष्कर्ष निकाले जा सकें। यह प्रस्तुतीकरण का एक दृश्य तरीका है जो आँकड़ों को अधिक आकर्षक और बोधगम्य बनाता है।
**आलेखीय निरूपण के उद्देश्य:**
* आँकड़ों को सरल और आकर्षक बनाना।
* जटिल आँकड़ों को आसानी से समझना।
* आँकड़ों में मौजूद रुझानों, पैटर्नों और संबंधों को उजागर करना।
* तुलना करने और निष्कर्ष निकालने में मदद करना।
* जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करना।
**आलेखीय निरूपण के प्रकार:**
आँकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न प्रकार के ग्राफ़ और आरेख उपयोग किए जाते हैं, जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं:
1. **दंड आलेख (Bar Graph):**
* यह विभिन्न श्रेणियों या समूहों की तुलना करने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें आयताकार दंड होते हैं जिनकी लंबाई आँकड़ों के मान के अनुपात में होती है।
* दंड ऊर्ध्वाधर या क्षैतिज हो सकते हैं।
2. **रेखा आलेख (Line Graph):**
* यह समय के साथ आँकड़ों में परिवर्तनों को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें बिंदुओं को रेखाओं से जोड़कर एक ग्राफ़ बनाया जाता है।
* यह रुझानों और परिवर्तनों को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
3. **वृत्त आरेख या पाई चार्ट (Pie Chart):**
* यह एक पूरे के भागों या प्रतिशत को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें एक वृत्त को विभिन्न खंडों में विभाजित किया जाता है, जहाँ प्रत्येक खंड का आकार आँकड़ों के अनुपात में होता है।
4. **चित्रलेख (Pictograph):**
* यह आँकड़ों को चित्रों या प्रतीकों का उपयोग करके दर्शाता है।
* यह बच्चों और आम लोगों के लिए आँकड़ों को समझने का एक आसान तरीका है।
5. **आवृत्ति बहुभुज (Frequency Polygon):**
* यह आवृत्ति वितरण को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें वर्गों के मध्य बिंदुओं को रेखाओं से जोड़कर एक बहुभुज बनाया जाता है।
6. **आयत चित्र (Histogram):**
* यह वर्गीकृत आँकड़ों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें आसन्न आयताकार दंड होते हैं जिनकी ऊँचाई आवृत्ति के अनुपात में होती है।
7. **ओजाइव या संचयी आवृत्ति वक्र (Ogive or Cumulative Frequency Curve):**
* यह संचयी आवृत्ति वितरण को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* यह "से कम प्रकार" या "से अधिक प्रकार" का हो सकता है।
8. **प्रकीर्ण आरेख (Scatter Plot):**
* यह दो चरों के बीच संबंध को दिखाने के लिए उपयोग किया जाता है।
* इसमें बिंदुओं को निर्देशांक तल पर प्लॉट किया जाता है।
**आलेखीय निरूपण के सिद्धांत:**
* **अक्ष (Axes):** ग्राफ़ में दो रेखाएँ होती हैं जिन्हें अक्ष कहा जाता है: क्षैतिज अक्ष (x-अक्ष) और ऊर्ध्वाधर अक्ष (y-अक्ष)।
* **पैमाना (Scale):** अक्षों पर उचित पैमाना चुनना महत्वपूर्ण है ताकि आँकड़े स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हों।
* **शीर्षक (Title):** ग्राफ़ का एक स्पष्ट और संक्षिप्त शीर्षक होना चाहिए जो बताता है कि ग्राफ़ क्या दर्शाता है।
* **लेबल (Labels):** अक्षों और विभिन्न भागों को स्पष्ट रूप से लेबल किया जाना चाहिए।
**आलेखीय निरूपण के लाभ:**
* आँकड़ों को समझना आसान होता है।
* रुझानों और पैटर्नों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
* तुलना करना आसान होता है।
* जानकारी को प्रभावी ढंग से संप्रेषित किया जा सकता है।
**उदाहरण:**
मान लीजिए कि एक कक्षा में छात्रों के अंकों को दर्शाना है। इसे दंड आलेख, रेखा आलेख, या वृत्त आरेख के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आप क्या दिखाना चाहते हैं (जैसे, विभिन्न अंकों की तुलना, समय के साथ अंकों में बदलाव, या कुल अंकों का विभाजन)।
मुझे उम्मीद है कि यह व्याख्या आपको "आंकड़ों का आलेखीय निरूपण" समझने में मदद करेगी।
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप
"केंद्रीय प्रवृत्ति के माप" सांख्यिकी में उपयोग किए जाने वाले ऐसे मान हैं जो आँकड़ों के वितरण के केंद्र या औसत मान को दर्शाते हैं। ये माप हमें बताते हैं कि आँकड़े किस मान के आस-पास केंद्रित हैं। केंद्रीय प्रवृत्ति के मुख्य माप इस प्रकार हैं:
1. **माध्य (Mean):**
* यह आँकड़ों का सबसे आम औसत है।
* इसे सभी मानों के योग को मानों की कुल संख्या से भाग देकर ज्ञात किया जाता है।
* **सूत्र:** माध्य (x̄) = (Σxᵢ) / n, जहाँ Σxᵢ सभी मानों का योग है और n मानों की कुल संख्या है।
* **उदाहरण:** यदि पाँच छात्रों के अंक 70, 80, 90, 60 और 75 हैं, तो माध्य (70 + 80 + 90 + 60 + 75) / 5 = 75 होगा।
2. **माध्यिका (Median):**
* यह आँकड़ों का मध्य मान है जब उन्हें आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है।
* यदि मानों की संख्या विषम है, तो मध्यिका मध्य मान होती है।
* यदि मानों की संख्या सम है, तो मध्यिका मध्य के दो मानों का औसत होती है।
* **उदाहरण:** यदि आँकड़े 60, 70, 75, 80, 90 हैं, तो मध्यिका 75 होगी। यदि आँकड़े 60, 70, 80, 90 हैं, तो मध्यिका (70 + 80) / 2 = 75 होगी।
3. **बहुलक (Mode):**
* यह आँकड़ों में सबसे अधिक बार आने वाला मान है।
* एक आँकड़ा समूह में एक से अधिक बहुलक हो सकते हैं या कोई बहुलक नहीं भी हो सकता है।
* **उदाहरण:** यदि आँकड़े 60, 70, 70, 80, 90, 70 हैं, तो बहुलक 70 होगा क्योंकि यह तीन बार आया है।
**केंद्रीय प्रवृत्ति के मापों का उपयोग:**
केंद्रीय प्रवृत्ति के मापों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
* आँकड़ों के वितरण का सारांश प्रस्तुत करना।
* विभिन्न आँकड़ा समूहों की तुलना करना।
* रुझानों और पैटर्नों की पहचान करना।
* भविष्यवाणियाँ करना।
**केंद्रीय प्रवृत्ति के मापों का चयन:**
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप का चयन आँकड़ों के प्रकार और विश्लेषण के उद्देश्य पर निर्भर करता है।
* **माध्य:** यह सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला माप है, लेकिन यह बाहरी मानों (outliers) से प्रभावित हो सकता है।
* **माध्यिका:** यह बाहरी मानों से कम प्रभावित होती है और विषम वितरणों के लिए उपयुक्त है।
* **बहुलक:** यह श्रेणीबद्ध आँकड़ों के लिए उपयुक्त है और यह बताता है कि सबसे आम मान क्या है।
**उदाहरण:**
मान लीजिए कि एक शहर में लोगों की औसत आय ज्ञात करनी है। यदि कुछ लोगों की आय बहुत अधिक है, तो माध्य इन लोगों की आय से प्रभावित हो सकता है और औसत आय को अधिक दर्शा सकता है। इस स्थिति में, माध्यिका आय का अधिक उपयुक्त माप हो सकता है क्योंकि यह बाहरी मानों से कम प्रभावित होता है।
**निष्कर्ष:**
केंद्रीय प्रवृत्ति के माप आँकड़ों का विश्लेषण करने और उनसे निष्कर्ष निकालने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं। उचित माप का चयन करके,
मध्य वर्गीकृत आंकड़ों का बहुलक वर्गीकृत आंकड़ों का माध्यक :Mode of grouped data Median of grouped data
आप "मध्य" (Mean), "वर्गीकृत आंकड़ों का बहुलक" (Mode of Grouped Data), और "वर्गीकृत आंकड़ों का माध्यिका" (Median of Grouped Data) के बारे में जानना चाहते हैं। ये सांख्यिकी में केंद्रीय प्रवृत्ति के महत्वपूर्ण माप हैं, खासकर जब आँकड़े समूहों या वर्गों में व्यवस्थित होते हैं। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:
**1. मध्य (Mean):**
जब आँकड़े वर्गीकृत रूप में दिए गए हों (जैसे कि आवृत्ति वितरण तालिका में), तो माध्य की गणना थोड़ी अलग तरीके से की जाती है। हम प्रत्येक वर्ग के मध्यबिंदु (class mark) का उपयोग करते हैं।
* **सूत्र:**
माध्य (x̄) = (Σfᵢxᵢ) / Σfᵢ
जहाँ:
* fᵢ = iवें वर्ग की आवृत्ति
* xᵢ = iवें वर्ग का मध्यबिंदु (उच्च सीमा + निम्न सीमा) / 2
* Σfᵢ = सभी आवृत्तियों का योग (कुल आँकड़े)
* **उदाहरण:**
| वर्ग अंतराल | आवृत्ति (fᵢ) | मध्यबिंदु (xᵢ) | fᵢxᵢ |
|---|---|---|---|
| 0-10 | 5 | 5 | 25 |
| 10-20 | 10 | 15 | 150 |
| 20-30 | 15 | 25 | 375 |
| 30-40 | 8 | 35 | 280 |
| 40-50 | 2 | 45 | 90 |
| **कुल** | **40** | | **920** |
माध्य = 920 / 40 = 23
**2. वर्गीकृत आंकड़ों का बहुलक (Mode of Grouped Data):**
वर्गीकृत आँकड़ों का बहुलक वह वर्ग अंतराल होता है जिसकी आवृत्ति सबसे अधिक होती है। इसे 'बहुलक वर्ग' भी कहते हैं। सटीक बहुलक मान ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है:
* **सूत्र:**
Mode = l + [(f₁ - f₀) / (2f₁ - f₀ - f₂)] × h
जहाँ:
* l = बहुलक वर्ग की निम्न सीमा
* f₁ = बहुलक वर्ग की आवृत्ति
* f₀ = बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की आवृत्ति
* f₂ = बहुलक वर्ग के ठीक बाद वाले वर्ग की आवृत्ति
* h = वर्ग अंतराल की चौड़ाई
* **उदाहरण:** उपरोक्त तालिका में, बहुलक वर्ग 20-30 है क्योंकि इसकी आवृत्ति (15) सबसे अधिक है। अब सूत्र का उपयोग करते हैं:
Mode = 20 + [(15 - 10) / (2 × 15 - 10 - 8)] × 10
Mode = 20 + [5 / (30 - 18)] × 10
Mode = 20 + (5/12) × 10
Mode = 20 + 4.17
Mode ≈ 24.17
**3. वर्गीकृत आंकड़ों का माध्यिका (Median of Grouped Data):**
वर्गीकृत आँकड़ों की माध्यिका ज्ञात करने के लिए, हम संचयी आवृत्ति (cumulative frequency) का उपयोग करते हैं।
* **चरण:**
1. संचयी आवृत्ति तालिका बनाएँ।
2. N/2 ज्ञात करें, जहाँ N कुल आवृत्ति है।
3. माध्यिका वर्ग ज्ञात करें, जो वह वर्ग है जिसकी संचयी आवृत्ति N/2 से ठीक अधिक या बराबर है।
4. निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करें:
Median = l + [(N/2 - cf) / f] × h
जहाँ:
* l = माध्यिका वर्ग की निम्न सीमा
* N = कुल आवृत्ति
* cf = माध्यिका वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की संचयी आवृत्ति
* f = माध्यिका वर्ग की आवृत्ति
* h = वर्ग अंतराल की चौड़ाई
* **उदाहरण:** उपरोक्त तालिका में, N = 40, इसलिए N/2 = 20. संचयी आवृत्ति तालिका इस प्रकार होगी:
| वर्ग अंतराल | आवृत्ति (fᵢ) | संचयी आवृत्ति (cf) |
|---|---|---|
| 0-10 | 5 | 5 |
| 10-20 | 10 | 15 |
| 20-30 | 15 | 30 |
| 30-40 | 8 | 38 |
| 40-50 | 2 | 40 |
माध्यिका वर्ग 20-30 है। अब सूत्र का उपयोग करते हैं:
Median = 20 + [(20 - 15) / 15] × 10
Median = 20 + (5/15) × 10
Median = 20 + 3.33
Median ≈ 23.33
**निष्कर्ष:**
वर्गीकृत आँकड़ों के लिए, माध्य, बहुलक, और माध्यिका की गणना विशेष सूत्रों और विधियों का उपयोग करके की जाती है। ये माप आँकड़ों के केंद्रीय प्रवृत्ति को समझने में मदद करते हैं।
संचई बारंबारता बंटन का आलेख ही निरूपण : Graphical representation of cumulative frequency distribution
आप "संचई बारंबारता बंटन का आलेखीय निरूपण" के बारे में जानना चाहते हैं। संचई बारंबारता बंटन को आलेखीय रूप से दर्शाने के लिए मुख्य रूप से दो तरीकों का उपयोग किया जाता है:
1. **संचई बारंबारता वक्र या ओजाइव (Cumulative Frequency Curve or Ogive):**
2. **संचई बारंबारता बहुभुज (Cumulative Frequency Polygon):**
आइए इन दोनों तरीकों को विस्तार से समझते हैं:
**1. संचई बारंबारता वक्र या ओजाइव (Cumulative Frequency Curve or Ogive):**
* यह संचयी बारंबारता बंटन को दर्शाने का सबसे आम तरीका है।
* इसे बनाने के लिए, हम x-अक्ष पर वर्ग सीमाओं (Class Boundaries) और y-अक्ष पर संचई बारंबारता को लेते हैं।
* प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा पर, उस वर्ग की संचयी बारंबारता के संगत एक बिंदु अंकित किया जाता है।
* इन सभी बिंदुओं को एक चिकनी वक्र से जोड़ा जाता है, जिसे ओजाइव या संचई बारंबारता वक्र कहते हैं।
* ओजाइव दो प्रकार के होते हैं:
* **से कम प्रकार ओजाइव (Less than type Ogive):** इसमें प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा पर, उस वर्ग तक की संचयी बारंबारता को दर्शाया जाता है। यह वक्र नीचे से ऊपर की ओर बढ़ता हुआ होता है।
* **से अधिक प्रकार ओजाइव (More than type Ogive):** इसमें प्रत्येक वर्ग की निचली सीमा पर, उस वर्ग से ऊपर की संचयी बारंबारता को दर्शाया जाता है। यह वक्र ऊपर से नीचे की ओर घटता हुआ होता है।
**2. संचई बारंबारता बहुभुज (Cumulative Frequency Polygon):**
* यह भी संचई बारंबारता बंटन को दर्शाने का एक तरीका है।
* इसे बनाने के लिए, हम x-अक्ष पर वर्ग सीमाओं और y-अक्ष पर संचई बारंबारता को लेते हैं।
* प्रत्येक वर्ग की ऊपरी सीमा पर, उस वर्ग की संचई बारंबारता के संगत एक बिंदु अंकित किया जाता है।
* इन सभी बिंदुओं को सीधी रेखा खंडों से जोड़ा जाता है, जिससे एक बहुभुज बनता है, जिसे संचई बारंबारता बहुभुज कहते हैं।
**ओजाइव और संचई बारंबारता बहुभुज में अंतर:**
* ओजाइव एक चिकनी वक्र होता है, जबकि संचई बारंबारता बहुभुज सीधी रेखा खंडों से बना होता है।
* ओजाइव को बनाने के लिए, बिंदुओं को एक वक्र से जोड़ा जाता है, जबकि संचई बारंबारता बहुभुज को बनाने के लिए, बिंदुओं को सीधी रेखाओं से जोड़ा जाता है।
**संचई बारंबारता बंटन का उपयोग:**
संचई बारंबारता बंटन का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाता है:
* माध्यिका (Median) ज्ञात करना।
* चतुर्थक (Quartiles), दशमक (Deciles), और शतमक (Percentiles) ज्ञात करना।
* आँकड़ों के वितरण की तुलना करना।
* आँकड़ों के बारे में अन्य निष्कर्ष निकालना।
**उदाहरण:**
मान लीजिए कि एक कक्षा में छात्रों के अंकों का बंटन इस प्रकार है:
| अंक (वर्ग अंतराल) | छात्रों की संख्या (बारंबारता) |
|---|---|
| 0-10 | 5 |
| 10-20 | 10 |
| 20-30 | 15 |
| 30-40 | 8 |
| 40-50 | 2 |
इस आँकड़ा समूह के लिए संचई बारंबारता तालिका इस प्रकार होगी:
| अंक (वर्ग अंतराल) | छात्रों की संख्या (बारंबारता) | संचई बारंबारता (से कम प्रकार) |
|---|---|---|
| 0-10 | 5 | 5 |
| 10-20 | 10 | 15 |
| 20-30 | 15 | 30 |
| 30-40 | 8 | 38 |
| 40-50 | 2 | 40 |
इस तालिका का उपयोग करके, हम ओजाइव या संचई बारंबारता बहुभुज बना सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि यह व्याख्या आपको संचई बारंबारता बंटन के आलेखीय निरूपण को समझने में मदद करेगी।