Adiwasi Divas : आठवीं के बाद 80 फ़ीसदी आदिवासी बच्चों का टूट जाता है स्कूल से नाता

आदिवासी बच्चे उच्च शिक्षा भी दूर की कौड़ी सिर्फ पांच पीस दी छात्र ग्रेजुएट

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सतना – आदिवासियों को शिक्षित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए की जाने वाली बातों का धरातल पर वजूद नहीं है यही कारण है कि 15 की विधि आदिवासी आबादी वाले सतना जिले में 90 पीस दी बच्चे कॉलेज की सीढ़ी नहीं कर पा रही है इतना तक तो महज पांच पीस दी हो रही है इनमें 80 फिर भी बच्चे तो आठवीं के बाद ही स्कूल छोड़ रही है। यह सच्चाई आदिम जाति कल्याण विभाग के ताजा आंकड़ों में समाहित है।

इन आंकड़ों के हिसाब से जिले में हर साल लगभग 7000 आदिवासी बच्चे कक्षा 1 में प्रवेश लेते हैं लेकिन 12वीं कक्षा तक आते-आते यह संख्या सवा हजार के लगभग रह जाती है इनमें भी कॉलेज में एकदम कदम रखने वाले की संख्या 600-700 होती है इसमें 90 पीस दी कि शिक्षा का सफर प्रथम वर्ष में खत्म हो जाता है हर साल मात्र 5 पीस भी छात्र स्नातक की डिग्री पूरी कर पाते हैं इसी में आदिवासी छात्रों की संख्या 1% भी नहीं है इस साल पीजी में मात्र 5 छात्रों ने प्रवेश लिया है जबकि बीते साल 3 छात्र थे।

फैक्ट फाइल सतना

आदिवासी जनसंख्या – 3,22,570
गांवो में निवासरत – 3,01,145
नगरीय क्षेत्र में – 21,425

आदिवासी छात्र संख्या

स्कूल में
छात्र – 35000
छात्रा – 34200
कुल – 70021

कॉलेज में छात्र संख्या
स्नातक – 2111
स्नातकोत्तर – 39
कुल – 2150

कहां जाते हैं आदिवासी छात्र

स्कूल कॉलेज छोड़ने वाले छात्र मजबूरी में लग जाते हैं कई सारे बच्चे आठवीं के बाद मजदूरी पर लग जाते हैं आदिवासियों को शिक्षा से जोड़कर उन्हें शिक्षित करने व उनका जीवन स्तर ऊंचा करने की कुछ सरकारी योजनाएं चल रही है लेकिन शिक्षा छोड़ रहे बच्चों का आंकड़ा दर्शाता है कि योजनाएं कारगर नहीं है।

कक्षावार छात्र संख्या
कक्षा 1 – 6882
कक्षा 5 – 7895
कक्षा 8 – 7530
कक्षा 10 – 2178
कक्षा – 12 – 1364

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