khajuraho temple history in hindi – खजुराहो के कामुक मूर्तियों का रहस्य

खजुराहों मंदिर का निर्माण कब और क्यों हुआ था। खजुराहों मंदिर का इतिहास क्या है ?

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दोस्तों आपने अपनी जिंदगी में कभी ना कभी कामुक तस्वीरें को जरूर देखा होगा लेकिन अगर यही तस्वीर मंदिरों पर बनी हो तो यह काफी हैरानी की बात है इन हैरान करने वाले प्राचीन स्मारकों में खजुराहो के प्राचीन मंदिरों का नाम भी शामिल है जो अपनी बेहद बारिक नाशीयो और कामुक मूर्तियां के लिए पुरी दुनिया भर में फेमस है इन मंदिरों की दीवारों पर बनी यह कामोत्तेजक मूर्तियां यहां आने वाले सभी लोगों को हैरत में दाल देती है इन्हें देख कर लोग सोच में पद जाते हैं की आखिर इन मूर्तियां को क्यों बनाया गया और दोस्तों आज की हमारे इस लेख में हम इन मूर्तियां का इतिहास व इसके पीछे छिपे रहस्य के बारे में ही जानने वाले हैं

खजुराहों नाम कैसे पड़ा -How Khajuraho got its name

एक समय यहां खजूर के पेड़ों का एक बहुत बड़ा बगीचा हुआ करता था इसके अलावा कुछ लोग ये भी मानते हैं की प्राचीन समय में इस शहर के गेट पर खजूर के दो बड़े-बड़े पेड़ हुआ करते थे जिनकी वजह से इसका खजुराहो नाम रखा गया था वैसे सही कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन यह बात तो साफ है की इस शहर के नाम का कनेक्शन खजूर के पेड़ से ही है हालांकि इस समय की अगर बात करें तो आज ये शहर अपने नाम या खजूर के पेड़ों की वजह से नहीं बल्कि यहां मौजूद कामुक मंदिरों के लिए पूरे दुनिया भर में जाना जाता है

खजुराहों मंदिर क्यों प्रसिद्ध है -Why is Khajuraho Temple famous?

दरअसल खजुराहो में हिंदू और जैन धर्म के कुछ ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिन्हें भारत की सबसे खूबसूरत और सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक विरासतों में से एक माना जाता है इन सभी मंदिरों को एकत्रित रूप से खजुराहो स्मारक समूह का नाम दिया गया है इन मंदिरों की सबसे बड़ी खासियत इनकी दीवारों पर बनी हुई वो कामुक मूर्तियां हैं जो यहां आने वाले लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती रहती है साथ ही ये मूर्तियां इस दुनिया को यह दिखाई है की भारत की प्राचीन मूर्ति कला कितनी बेहतरीन हुआ करती थी इन मंदिरों के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की साल 1986 में यूनेस्को द्वारा मंदिरों के इस समूह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की सूची में शामिल कर लिया गया था। अब यूं तो भारत में और भी बहुत से ऐसे मंदिर मौजूद हैं जहां कामुक मूर्तियां बनी हुई दिखाई देती हैं लेकिन किसी भी मंदिर में वो बात नजर नहीं आई जो खजुराहो के इन मंदिरों में है बताया जाता है।

खजुराहो मंदिर का निर्माण -construction of khajuraho temple

इन मंदिरों का निर्माण सन 885 ई से 1050 ई के बीच चंदेल राजवंश के दौरान करवाया गया था साथ ही इसको बनाने की शुरुआत चंदेल राजवंश के पहले शासन राजा चंद्रवर्मन के द्वारा की गई थी यही वजह है की आज इन मंदिरों को बनाने का पूरा शरीर राजा चंद्रवर्मन को ही दिया जाता है आपकी जानकारी के लिए बता दें की राजा चंद्रवर्मन चंदेल राजवंश के सबसे महान राजा माने जाते हैं क्योंकि आठवीं सदी में ही राजा चन्द्रवर्मन के द्वारा ही इस राजवंश की स्थापना की गई थी दोस्तों उस समय उनके इस साम्राज्य को बुंदेलखंड नाम दिया गया था। आज के समय के हिसाब से देखें तो राजा चंद्रवर्मन का यह चंदेल साम्राज्य यमुना और नर्मदा नदियों के बीच बुंदेलखंड से उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है।

खजुराहों मंदिरो के निर्माण में कितना समय लगा

दोस्तों चंदेल राजवंश के सभी शासको को कला से बहुत प्यार था यही वजह है की अपने शासनकाल में उन्होंने इन खूबसूरत मंदिरों का निर्माण कराया था। इन सभी मंदिरों का निर्माण होने में लगभग 165 सालों का समय गया था। इस दौरान चंदेल राजवंश के शासन जरूर बदलते रहे लेकिन मंदिरों के निर्माण का कार्य इसी तरह चला रहा इतिहासकार बताते हैं।

खजुराहों में कुल कितनी मंदिरे है

शुरुआत में इन मंदिरों की संख्या 85 थी जो की लगभग 20 किलोमीटर के एरिया में फाइल हुए थे लेकिन अब इनमें से सिर्फ 25 मंदिर ही बैक पे हैं जो की 6 किलोमीटर के एरिया में फाइल हुए हैं।

खजुराहों की मंदिरे क्यो तोड़ी गई -How many temples are there in Khajuraho

दरअसल मंदिरों की दीवारों पर बनी उन कामुक मूर्तियां की वजह से बहुत से लोग इन्हें अश्लील और धर्म के विरुद्ध मानते थे इसीलिए इतिहास में कई बार इन मंदिरों को नष्ट करने के प्रयास किया गए जिसमें काफी मंदिरों को ध्वस्त भी कर दिया गया इसके अलावा गुलाम वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक और लोधी वंश के सिकंदर लोधी जैसे और भी कई शासको ने कई बार इन मंदिरों को नष्ट करने के प्रयास किया और इस तरह नष्ट होते होते आज खजुराहो में सिर्फ 20 से 25 मंदिर ही बाकी रह गए हैं। दरअसल खजुराहो के मंदिरों पर बनी इन कामुक मूर्तियां में स्त्रियों और पुरुषों के बीच होने वाली काम क्रिया के अलग-अलग आसनों को दिखाए गया है इन दीवारों पर कामसूत्र के अलग-अलग आसन बड़े ही खूबसूरती और कलाकार से प्रदर्शित किया गए हैं वैसे अगर आप सोचते हैं की इन दीवारों पर सिर्फ ये कामुक मूर्तियां ही बनाई गई हैं तो आप पुरी तरह गलत हैं क्योंकि इन मंदिरों में कामुक मूर्तियां के अलावा बहुत सी ऐसी मूर्तियां भी हैं जो इंसानों की रोजमर्रा की जिंदगी को बड़ी ही सुंदरता से दर्शाती हैं अब समाज की अगर बात करें तो मंदिर पर बनी यह कामुक मूर्तियां उन्हें काफी अजीब और अश्लील नजर आई है और बहुत से लोग इन मूर्तियां के होने का कड़ा विरोध भी करते हैं वैसे देखा जाए तो ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि हम इंसानों के बीच सेक्स हमेशा एक गुप्त क्रिया मनी जाति है ऐसे में मंदिर जैसी पवित्र जगह पर फूल रूप से इस तरह की मूर्तियां का होना कोई आम बात नहीं है

खजुराहों में इन मूर्तियों को क्यों बनाया गया

अब ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल आता है की आखिर इन मंदिरों की दीवारों पर इन मूर्तियां क्यों बनाया गया और अगर ये मूर्तियां समाज को कोई खास मैसेज देती हैं तो वो मैसेज क्या है दोस्तों मंदिर पर इस तरह की मूर्तियां बनाने का मकसद क्या था इसका एक सटीक जवाब किसी के पास नहीं है हालांकि दुनिया के कुछ अलग-अलग विद्वानों के द्वारा इन मूर्तियां के बनाए जान के पीछे अलग-अलग करण बताए जाते हैं

तो चलिए हम इन मूर्तियां के बनाए जाने के कुछ प्रसिद्ध कारण के बारे में जानते हैं।

पहला कारण दोस्तों खजुराहो के मंदिरों में इन कामुक मूर्तियां को बनाने का सबसे बड़ा कारण एक पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। इस कथा में बताया गया है की काशी के रहने वाले एक प्रसिद्ध ब्राह्मण राजपुरोहित हेमराज की बेटी हेमवती बहुत ज्यादा सुंदर हुआ करती थी एक दिन शाम के समय हेमवती एक तालाब में स्नान कर रही थी की तभी चंद्रमा यानी चंद्र देव की नजर हेमवती पर पड़ गई तालाब के पानी में भीगी हेमवती के सौंदर्य को देखकर चंद्रदेव उसी पल उन्हें अपना दिल दे बैठे वह खुद को रोक नहीं पाए और अपना रूप बदलकर तुरंत हेमवती के पास पहुंच गए उन्होंने हेमवती को पाने के लिए उनका अपहरण कर लिया और उन्हें अपने साथ जंगल लेकर गए जंगल में जाने के बाद हेमवती को भी उनसे प्यार हो गया और इस मिलन से हेमवती ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने चंद्रवर्मन रखा। समाज की डर से हेमवती ने अपने बेटे का पालन पोषण जंगल में ही किया था वह शुरुआत से ही अपने बेटे को एक महान शासन बनाना चाहती थी चंद्रवर्मन ने बड़े होकर चंदेल वंश की नीव राखी और अपनी मां का सपना पूरा करते हुए वह एक महान राजा और वीर शासन बन गए। फिर एक दिन हेमवती उनके सपना में आई और उन्होंने चंद्रवर्मन को ऐसे मंदिर बनाने को कहा जो समाज में यह संदेश पहुंच की इंसान की जिंदगी में दूसरी अहम चीजों की तरह ही उसकी यौन इच्छा भी जिंदगी का हम हिस्सा होती है और अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करना किसी भी तरह का कोई पाप नहीं होता ये सपना देखने के बाद चंद्रवर्मन ने के ठान लिया की वे अपनी मां की इस इच्छा को हर हाल में पूरा करेंगे और काफी सोच विचार के बाद उन्होंने इन मंदिरों के निर्माण के लिए खजुराहो नगर को चुना था इसके लिए सबसे पहले उन्होंने खजुराहो को अपने साम्राज्य की राजधानी बनाया और फिर अपनी इस राजधानी में उन्होंने 85 वेदियों का एक विशाल यज्ञ करवाया बाद में इन्हीं वेदियों की जगह पर ये 85 भव्य मंदिर बनवाये गए जो अपनी खूबसूरती और कलाकृतियां के लिए आज भी दुनिया भर में फेमस है। और दोस्तों इस पौराणिक कथा के अनुसार इस तरह यह मंदिर दुनिया के अंदर अस्तित्व में आए और इसलिए इन पर इस तरह की मूर्तियां बनाई गई हैं।

● दूसरा कारण दोस्तों बहुत से खोजकर्ता का कहना है की यह मूर्तियां इसलिए बनाई गई थी ताकि यहां आने वाले लोग अपने मां से सभी तरह के भोगविलास को खत्म करके साफ मन से मंदिर के अंदर जाये दरअसल इन विद्वानों का यह कहना था की इंसान अपनी विलासिताओं से तब तक छुटकारा नहीं का सकता जब तक की वह खुद उसका एक्सपीरियंस ना कर ले और लोगों को उनकी विलासिताओं का अनुभव करने के लिए ही मंदिर की बाहरी दीवारों पर यह मूर्तियां बनाई गई थी दोस्तों इन मूर्तियां को इस तरह से बनाया गया है की मंदिर में जाने वाले हर एक व्यक्ति की नजर इनके ऊपर जरूर पड़ती है और इस तरह इन मूर्तियां की वजह से लोग एक साथ मां को लेकर इन मंदिरों में प्रवेश करते हैं।
●तीसरा कारण दोस्तों इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे एक तर्क यह भी दिया जाता है की जिन जमाने में यह मंदिर बनाए गए थे उस समय बौद्ध धर्म बहुत तेजी से फैल रहा था और बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर उस समय के ज्यादातर युवा अपना घर बार और कामकाज को छोड़कर ब्रह्मचर्य और सन्यासी जीवन को अपनाने लगे थे बताया जाता है की उन युवाओं को फिर से गृहस्थ जीवन की तरफ लुभाने के लिए ही खजुराहो सहित देशभर में इस तरह के मूर्तियां बनाए गए थे दरअसल हिंदू और जैन धर्म के लोग युवाओं को यह समझना चाहते थे की गृहस्थ जीवन अपना कर भी मोक्ष की प्राप्त की जा सकती है इसीलिए इस तरह के मंदिरों को अलग-अलग जगह पर बनाया गया था।

● चौथा कारण इन मंदिरों पर यह मूर्तियां बनाने का एक कारण यह भी बताया जाता है की चंदेल राजवंश के दौरान इस साम्राज्य में तांत्रिकों का एक समुदाय रहा करता था और इस समुदाय के लोग उस समय योग व भोग दोनों को ही मोक्ष प्राप्त करने का साधन मानते थे वे लोग इस बात को समाज में पहुंचाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने इन मंदिरों पर इस तरह की मूर्तियां का निर्माण कराया था।
आध्यात्मिक गुरु ओशो
दोस्तों आपको यह जानकर काफी हैरानी होगी की भारत के मशहूर आध्यात्मिक गुरु रजनीश ओशो ने इन मूर्तियां को स्पिरिचुअल वर्ल्ड की सबसे अच्छी धरोहर बताया संभोग से समाधि की ओर में खजुराहो इन मंदिरों पर खुलकर अपने विचार रखें थे उन्होंने कहा है की खजुराहो में नॉन मैथून के प्रतिमाओं को देखकर भी आपको ऐसा नहीं लगेगा की उनमें कुछ गंदा है आप ऐसा नहीं सोचेंगे की बनाने वाले की सोच गंदी थी यहां तो इन मैथून प्रतिमाओं को देखकर शांति और पवित्रता का अनुभव होता है जो बड़ी ही हैरानी की बात है उन्होंने कहा था की जो लोग अपनी वासनाओं पर काबू नहीं रख पाते उन्हें इन मंदिरों को देखने के लिए जाना चाहिए क्योंकि उनका यह मानना था की मंदिरों की दीवारों पर बनी इन मूर्तियां को अगर कोई इंसान ध्यान लगाकर सिर्फ घंटे भर देख ले तो इससे उसकी वासना हमेशा के लिए खत्म हो सकती है वे इन मूर्तियां को मेडिटेशन का सबसे अच्छा ऑब्जेक्ट मानते थे इसी तरह दोस्तों अलग-अलग लोग खजुराहो के इन मंदिरों और मूर्तियां को बनाने के पीछे अपनी अलग-अलग राय और सोच रखते हैं
वैसे इनको बनाने की सही वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन इन्हें देख कर एक बात तो कहीं जा सकती है की इनको बनाने वाले कारीगर वाकई कमाल की प्रतिभा वाले रहे होंगे तभी तो उन्होंने उस जमाने में भी बिना किसी आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से इतने जबरदस्त स्ट्रक्चर्स बनाकर खड़े कर दिए बाकी दोस्तों आप क्या सोचते हैं यह कामुक मूर्तियां बनाने के पीछे क्या वजह रही होगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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