फिल्मों में धर्म को लेकर कोई न कोई विवाद सामने आता रहता है। अक्सर आस्था से जुड़ी भावनाएँ आहत करने का आरोप भी फिल्मों पर लगा रहता है और इसे लेकर बवाल भी बड़े हो जाते हैं और इसे लेकर एक बड़ी खबर आई है। उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक माघ मेले से अब संतों ने धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया है, जो फिल्मों, सिरिअल या किसी भी अन्य माध्यम से हो रही है। धर्म के साथ छेड़छाड़ या अपमान की स्वतंत्र जांच करेगी और कार्रवाई करेंगी। ये फैसला शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की अध्यक्षता में लिया गया है।
हर सदस्य बोर्ड का गठन भी किया गया है। इस बोर्ड में धर्म और संस्कृति के दिग्गज शामिल हैं। हिंदू देवी देवताओं के अपमान या उनके बारे में गलत तथ्य बताती किसी भी जानकारी पर पोर्ट त्वरित कार्रवाई करेगा। पर सवाल ये भी उठता है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन की तरह धर्म सेंसर बोर्ड के पास फ़िल्म में कौन भेजेगा? ऐसे में इस बोर्ड को यह जानकारी कैसे मिले गी? हालांकि बोर्ड का कहना है उनके सूत्रों हर खबर पर नजर रखेंगे और आज के वक्त में हर फ़िल्म के ट्रेलर से पहले ही उसके सब्जेक्ट ऑफ से जुड़े हुए विवाद पर बातें सामने आती ही है। इसके साथ कॉलेजेस में होने वाले नाटकों के मंचन पर भी नजर रखी जाएगी।
शंकराचार्य ने कहा कि बोर्ड सरकार की मदद के लिए बनाया गया है। अगर कहीं भी सनातन संस्कृति के सम्मान को मनोरंजन के लिए गलत तरीके से दिखाया जाएगा या उसे विकृत किया जाएगा तो धर्म सेंसर बोर्ड कड़ा ऐक्शन लेगा